मंगल दोष: प्रभाव, उपाय और उज्जैन में मंगल दोष निवारण पूजा

मंगल दोष क्या है?

मंगल दोष, जिसे मंगलिक दोष या कुजा दोष भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण स्थिति है। यह तब बनता है जब मंगल ग्रह किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में प्रथम (1st), द्वितीय (2nd), चतुर्थ (4th), सप्तम (7th), अष्टम (8th), या द्वादश (12th) भाव में स्थित होता है। मंगल, जो ऊर्जा, साहस, और जोश का प्रतीक है, इन भावों में अशुभ प्रभाव डाल सकता है, जिससे वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य, और करियर में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। मंगल दोष वाले व्यक्ति को "मंगलिक" कहा जाता है, और इसे अंशिक मंगल दोष (हल्का) और संपूर्ण मंगल दोष (गंभीर) में वर्गीकृत किया जाता है। इसका प्रभाव कुंडली में मंगल की स्थिति, अन्य ग्रहों के संयोग, और भावों पर निर्भर करता है।

मंगल दोष वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य, और करियर में चुनौतियाँ ला सकता है, लेकिन सही उपायों और उज्जैन में मंगल दोष निवारण पूजा बूकिंग  से इसका प्रभाव कम किया जा सकता है। मंगलनाथ मंदिर की पवित्रता, वैदिक अनुष्ठान, और हनुमान पूजा जैसे उपाय जीवन में सुख-शांति लाते हैं



मंगल दोष के प्रभाव

मंगल दोष के प्रभाव व्यक्ति की कुंडली और जीवन परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। यहाँ इसके प्रमुख प्रभाव दिए गए हैं:

  1. वैवाहिक जीवन में समस्याएँ:

    • विवाह में देरी या उपयुक्त जीवनसाथी न मिलना। वैवाहिक जीवन में तनाव, झगड़े, या अलगाव की स्थिति।

  2. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ: दुर्घटनाएँ, चोट, या सर्जरी का खतरा। रक्त से संबंधित समस्याएँ, जैसे उच्च रक्तचाप, एनीमिया, या हृदय रोग।

  3. करियर और वित्तीय अस्थिरता: नौकरी में रुकावटें, बार-बार नौकरी बदलना, या सहकर्मियों के साथ विवाद। मेहनत के बावजूद स्थिरता की कमी।

  4. भावनात्मक और व्यवहारिक प्रभाव:

    • क्रोध, आवेग, या आक्रामकता में वृद्धि, जिससे रिश्तों में खटास आती है। धैर्य की कमी और निर्णय लेने में कठिनाई।

  5. भाव-विशिष्ट प्रभाव:

    • प्रथम भाव: आक्रामक व्यक्तित्व, स्वास्थ्य समस्याएँ।

    • द्वितीय भाव: पारिवारिक विवाद, वित्तीय परेशानी।

    • चतुर्थ भाव: घरेलू अशांति, संपत्ति विवाद।

    • सप्तम भाव: विवाह में देरी या वैवाहिक असंतोष।

    • अष्टम भाव: स्वास्थ्य जोखिम, ससुराल से तनाव।

    • द्वादश भाव: वित्तीय हानि, छिपे शत्रु।

मंगल दोष के उपाय

मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए वैदिक ज्योतिष में कई उपाय सुझाए गए हैं, जो वैदिक अनुष्ठानों, मंत्र जाप, और जीवनशैली में बदलाव का मिश्रण हैं। यहाँ प्रमुख उपाय दिए गए हैं:

1. मंगल दोष निवारण पूजा



मंगल ग्रह को शांत करने के लिए वैदिक अनुष्ठान।
  • सर्वश्रेष्ठ स्थान: उज्जैन का मंगलनाथ मंदिर और अंगारेश्वर मंदिर, क्योंकि उज्जैन को मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना जाता है।

  • प्रक्रिया:

    • शिप्रा नदी में स्नान।

    • संकल्प (नाम, गोत्र, और उद्देश्य के साथ)।

    • गणेश पूजा, हनुमान पूजा, और मंगल मंत्र जाप।

    • भात पूजा (अंगारेश्वर मंदिर में मिट्टी और जल से विशेष अनुष्ठान)।

    • हवन, आरती, और दान।

  • समय: मंगलवार, अमावस्या, श्रावण मास, या ज्योतिषी द्वारा सुझाया गया मुहूर्त।

  • लागत: ₹2,100 (बेसिक भात पूजा) से ₹7,000 (विशेष पूजा)।

2. मंगलिक-मंगलिक विवाह

  • मंगलिक व्यक्ति का विवाह मंगलिक से करने से मंगल का प्रभाव संतुलित होता है।

  • कुंडली मिलान के लिए अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लें।

3. कुंभ विवाह/अर्क विवाह

  • गंभीर मंगल दोष में, मंगलिक व्यक्ति पहले कुंभ (मिट्टी का घड़ा) या पुरुषों के लिए पीपल/बरगद का पेड़ और महिलाओं के लिए भगवान विष्णु की मूर्ति से प्रतीकात्मक विवाह करता है।

  • यह उपाय मंगलिक और गैर-मंगलिक विवाह के लिए प्रभावी है।

4. मंत्र जाप

  • मंगल के मंत्रों का जाप मंगल दोष को शांत करता है:

    • मंगल मंत्र: “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” (108 बार, मंगलवार को)।

    • बीज मंत्र: “ॐ अंग अंगारकाय नमः”।

    • हनुमान मंत्र: “ॐ हं हनुमते नमः”।

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में रुद्राक्ष माला से जाप करें।

5. हनुमान पूजा

  • हनुमान जी की भक्ति मंगल की आक्रामकता को शांत करती है।

  • उपाय:

    • मंगलवार को हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करें।

    • हनुमान जी को सिन्दूर, चमेली का तेल, और लाल फूल चढ़ाएँ।

    • मंगलवार का व्रत रखें।

मंगल दोष के लाभ

  • विवाह में बाधाएँ दूर होती हैं।

  • स्वास्थ्य और वित्तीय स्थिरता में सुधार।

  • मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि।

  • कर्मिक बोझ कम होता है।

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Comments

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